पश्येम नु सूर्यमुच्चारन्तम् – ऋग्वेद ६।५२।५
श्लोक: पश्येम नु सूर्यमुच्चारन्तम्।
भावार्थ:
हम प्रतिदिन उदय होते हुए सूर्य का दर्शन करें।
"पश्येम नु सूर्यमुच्चारन्तम" वेद मंत्र का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
ऋग्वेद के इस मंत्र में निहित संदेश केवल धार्मिक नहीं है, यह वैज्ञानिक, स्वास्थ्यवर्धक और जीवन निर्माण की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। सूर्यदेव को वेदों में जीवनदाता कहा गया है। यह मंत्र हमें नियमित, अनुशासित, और सकारात्मक दिनचर्या अपनाने की प्रेरणा देता है।
1. ब्रह्ममुहूर्त और दिन की श्रेष्ठ शुरुआत
“पश्येम नु सूर्यमुच्चारन्तम्” मंत्र हमें ब्रह्ममुहूर्त में उठकर सूर्यदर्शन करने की प्रेरणा देता है। ब्रह्ममुहूर्त अर्थात सूर्योदय से पूर्व का समय मानसिक और आध्यात्मिक साधना के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
2. सूर्यदर्शन के वैज्ञानिक लाभ
- सूर्य की पहली किरणों में उपस्थित अल्ट्रावायलेट किरणें त्वचा के रोगों को दूर करती हैं।
- सूर्यदर्शन से विटामिन D का निर्माण होता है, जो हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
- यह शरीर में ओज, तेज और आत्मबल का संचार करता है।
- आंखों की रोशनी बेहतर होती है (सूर्य नमस्कार और त्राटक के माध्यम से)।

3. आयुर्वेद में सूर्य का महत्व
आयुर्वेद में कहा गया है – “सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्च।” अर्थात सूर्य समस्त चराचर जगत की आत्मा है। सूर्य की किरणें त्रिदोषों (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करने में सहायक हैं।
4. मानसिक और भावनात्मक लाभ
सूर्यदर्शन से डिप्रेशन कम होता है, नींद की गुणवत्ता बढ़ती है और सेरोटोनिन का स्राव होता है जो मानसिक संतुलन बनाए रखता है।
5. आध्यात्मिक दृष्टि से सूर्य उपासना
वेदों में सूर्य को साक्षात देवता कहा गया है। प्रतिदिन सूर्योदय के समय “गायत्री मंत्र” या “आदित्यहृदय स्तोत्र” का जप अत्यंत शुभ माना गया है।
वर्तमान जीवनशैली में सूर्यदर्शन का स्थान
आज की भागदौड़ और कृत्रिम रोशनी से भरपूर जीवन में हम प्रकृति से कटते जा रहे हैं। यदि हम प्रतिदिन कुछ समय सूर्य के सान्निध्य में बिताएं, तो हमारा शरीर, मन और आत्मा – तीनों संतुलित रह सकते हैं।
6. प्राकृतिक दिनचर्या अपनाने की प्रेरणा
- रात्रि में जल्दी सोना और ब्रह्ममुहूर्त में उठना।
- प्रातःकाल सूर्य नमस्कार, प्राणायाम और ध्यान करना।
- शरीर के अंगों को सूर्य की किरणों के संपर्क में लाना।
निष्कर्ष
“पश्येम नु सूर्यमुच्चारन्तम्” मंत्र हमें स्वस्थ, अनुशासित और ऊर्जावान जीवन जीने की प्रेरणा देता है। यह मंत्र हमें प्रकृति से जुड़ने, सूर्य की ऊर्जा से लाभान्वित होने और दिन की सकारात्मक शुरुआत करने की ओर प्रेरित करता है। यदि हम प्रतिदिन सूर्यदर्शन करें, तो हमारे जीवन में स्वास्थ्य, शांति और सौंदर्य का स्थायी वास हो सकता है।
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