धियो यो नः प्रचोदयात। – यजुर्वेद ३।३५
शाब्दिक अर्थ:
सविता देव हमारी बुद्धियों को सन्मार्ग में प्रेरित करें।
यह मंत्र गायत्री मंत्र का एक अत्यंत प्रभावशाली अंश है, जिसमें ईश्वर से यह प्रार्थना की जाती है कि हमारी बुद्धि सदा धर्म, सच्चाई और विवेक के पथ पर चले।

बुद्धि का महत्व:
- बुद्धि ही मनुष्य को पशु से श्रेष्ठ बनाती है।
- सही दिशा में प्रवृत्त बुद्धि जीवन को यशस्वी बनाती है।
- गलत दिशा में गई बुद्धि विनाश का कारण बनती है।
मंत्र की आध्यात्मिक प्रेरणा:
हे प्रभो! हमें ऐसी प्रेरणा दो जिससे हम कुमार्ग का त्याग करें और सन्मार्ग पर चलें। हमारे विचार शुद्ध हों, हमारी बुद्धि निर्मल हो और हमारे कार्य जनहितकारी हों।
"बुद्धि की शुद्धि से ही आत्मा का उत्कर्ष संभव है।"
आधुनिक सन्दर्भ में उपयोगिता:
आज के युग में जब भ्रम, लालच और क्रोध से बुद्धि मलिन होती जा रही है, तब यह मंत्र हमारी चेतना को आलोकित करता है। यह मंत्र केवल धार्मिक नहीं, सामाजिक और नैतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत प्रभावी है।
#DhiyoYoNahPrachodayat #Yajurveda #GayatriMantra #EkkNayiSoch #VedicWisdom #BuddhiPrerna