उद्वयं तमसस्परि – यजुर्वेद का प्रेरणादायक श्लोक | अंधकार से प्रकाश की ओर

उद्वयं तमसस्परि – यजुर्वेद का प्रेरणादायक श्लोक

श्लोक:
उद्वयं तमसस्परि।
– यजुर्वेद ० २०/२१

शाब्दिक अर्थ

“हम अंधकार से ऊपर उठें।”

श्लोक की व्याख्या

यह यजुर्वेद का अत्यंत प्रेरणादायक श्लोक है, जो हमें आंतरिक और बाह्य दोनों प्रकार के अंधकार से ऊपर उठने का संदेश देता है। "तमस" यानी अंधकार केवल भौतिक नहीं, बल्कि अविद्या, निराशा, हीनता, निष्क्रियता और मानसिक पतन का भी प्रतीक है।

उद्वयं का अर्थ है "ऊपर उठना", और यह आत्मिक, मानसिक व बौद्धिक विकास की दिशा में आगे बढ़ने का संकेत देता है।

सामाजिक संदेश

  • निराशा और अवसाद से ऊपर उठें।
  • हीन भावना को त्यागकर आत्मबल जगाएँ।
  • ज्ञान, विवेक और पुरुषार्थ की ओर अग्रसर हों।
  • नकारात्मकता को त्यागकर आशावाद अपनाएँ।

आज के परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिकता

डिजिटल युग में जहां सूचनाओं की भरमार है, वहां यह श्लोक मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और विकास की प्रेरणा देता है। यह आत्मविकास और अध्यात्मिक जागरण का मार्ग प्रशस्त करता है।

वेदों का शाश्वत संदेश

वेदों का यह श्लोक हमें बताता है कि:

"अपने जीवन को आलस्य और आत्महीनता से निकालो और तेज, उत्साह, और आशा के प्रकाश से भर लो।"

निष्कर्ष

“उद्वयं तमसस्परि” केवल एक श्लोक नहीं बल्कि वेदों का दिव्य आह्वान है। यह हर उस व्यक्ति के लिए मार्गदर्शन है जो अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ना चाहता है – ज्ञान, आत्मबल, और परम सत्य की ओर।


लेखक:

© मिशन खोज

उद्वयं तमसस्परि - अंधकार से प्रकाश की ओर प्रेरणा देता यजुर्वेद का श्लोक

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