अदीनाः स्याम शरदः शतम् – यजुर्वेद का दीर्घायु जीवन का दिव्य संदेश | Meaning, Explanation & Life Inspiration

अदीनाः स्याम शरदः शतम् – यजुर्वेद का दीर्घायु जीवन का दिव्य संदेश

श्लोक:
अदीनाः स्याम शरदः शतम्
– यजुर्वेद 36।24

"अदीनाः स्याम शरदः शतम् - यजुर्वेद मंत्र का वैदिक चित्र, आत्मबल, दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की प्रेरणा देता हुआ"

शब्दार्थ:

  • अदीनाः – निर्बल न हों, आत्मबल से भरपूर
  • स्याम – हम हों
  • शरदः शतम् – सौ शरद् ऋतुएँ अर्थात सौ वर्ष

श्लोक का अर्थ:

हम सौ वर्षों तक निर्बल न होकर, आत्मबल और शरीरबल से युक्त होकर, स्वस्थ और सजग जीवन जीएँ।

व्याख्या:

यह श्लोक यजुर्वेद का जीवनदायिनी मंत्र है जो केवल दीर्घायु का संदेश नहीं देता, बल्कि जीवन की गुणवत्ता, सक्रियता और आत्मबल की प्रेरणा देता है। यह कहता है कि हम केवल जीवित न रहें, बल्कि सशक्त, आत्मनिर्भर और उत्साही जीवन जीएँ।

मुख्य संदेश:

  • स्वस्थ और दीर्घायु जीवन जीने की प्रेरणा
  • निराशा और परतंत्रता से मुक्त होना
  • आत्मबल और आत्मनिर्भरता की भावना
  • सक्रिय, कर्मठ और सकारात्मक जीवन शैली

आधुनिक संदर्भ में:

वर्तमान समय में जब मानसिक तनाव, रोग और व्यस्तता आम है, यह वैदिक श्लोक हमें संतुलित, अनुशासित और ऊर्जावान जीवन की ओर प्रेरित करता है।

निष्कर्ष:

"अदीनाः स्याम शरदः शतम्" न केवल दीर्घ जीवन की कामना है, बल्कि यह श्लोक हमारे शारीरिक, मानसिक और आत्मिक विकास का मूलमंत्र है। आइए, इसे अपने जीवन में उतारें और आशा, उत्साह और बल से भरपूर सौ वर्ष जिएँ।


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