सोम देवता त्वं सोम क्रतुभिः सुक्रतुभूः – श्रेष्ठ कर्मों से जीवन सार्थक बनाओ | ऋग्वेद १।९९।२ अप्रैल 06, 2025
वैदिक श्लोक वर्ष वनुष्वापि गच्छ देवान - अथर्ववेद श्लोक का अर्थ, भावार्थ और जीवन में महत्व अप्रैल 06, 2025